नमस्ते मित्रों आज यह जानेंगे बिहार की राजधानी पटना में एक फेमस जगह के बारे में जिसका नाम है Patna Taramandal इहका स्थापना 20 जुलाई 1989 में किया गया था अगर इस जगह पर जाना चाहते हो उससे पहले टिकट का रेट टाइमिंग और जो जरूरी जानकारी है वह जानना में जरूरी कितने बजे तारामंडल चालू होता है और कितने बजे बंद होता है और पटना में यह जगह कहां पर है सारा कुछ जानेंगे
पटना तारामंडल घूमे ₹100 में और पूरा शो देखें
- टिकट काउंटर पर जाकर मात्र ₹100 में पटना तारामंडल घूमने के लिए टिकट ले सकते हैं वहीं आपको साइड में मिल जाएगा काउंटर काउंटर एक लाइन महिलाओं के लिए और एक लाइन पूरषो के लिए बना हुआ मिल जाएगा
- टिकट बुकिंग की बात करें तो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से बुक कर सकते हैं ₹100 में और भी आपको इस काउंटर पर जरूरी सूचनाओं देखने को मिल जाएंगे और यह पटना का तारामंडल सोमवार के दिन बंद रहता है
- 30 मिनट का तारामंडल में शो होता है 1:40 से 2:20 मिनट तक के लॉन्च होता है और इस तारामंडल को इंदिरा गांधी विज्ञान परमिशन में बनाया गया था और इससे तारामंडल को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम से रखा गया है तो यह है कुछ इस तारामंडल की बेहद जरूरी जानकारी
तारामंडल में बैठने के लिए अच्छी सीट की
बैठने के लिए सीट मिलेगा जिससे आपको बहुत ही अच्छा फील होगा और आप वहां पर बिल्कुल शांत का सुकून मिलेगा थ्रीडी चश्मा लगाकर के तारामंडल का लुफ्त उठा सकते हैं कि बिल्कुल स्क्वायड जो भी चीज दिखाया जाएगा। लगेगा कि आपके पास में है और। बहुत बहुत अच्छा बहुत अच्छा अच्छा लगता लगता है सीट लगभग जो है वह कौन हो जाती है, फिर भी कुछ तो है वह खाली आपको देखने को मिल जाए तो यहां देखने के से जो 24 से 30 मिनट तक चलता है मिनट तक चलता है। उसके बाद लाइन से सभी को बाहर निकाला जाता है और यूकेडी चश्मा दिया जाता है। उसको वापस लेने बाहर आपको गैलरी में यह देखे बिग बैंग थ्योरी को बताया है कि किस तरीके से एक बिंदु में विस्फोट हुआ और उसकी वजह से पूरा ग्रह तारा यह सब का निर्माण और यहां पर आपको का प्लेलिस्ट दिखाया गया है और यहां पर दो बटन है। आप जब टच करते हैं तो यह बताया जाता है क्या है तो बहुत सारे। को यह समझ में नहीं आता। कहते हैं कि क्या हो रहा है। कुछ समझ में नहीं आ रहा है तो डॉपलर इफेक्ट में यह है कि जब कोई तारा जो है हमसे दूर जा रहा होता है तो उसकी रोशनी जो है
तारामंडल पटना कि संबंधित खास जानकारी टेबल में
विवरण | जानकारी |
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स्थान | इंदिरा गांधी विज्ञान परिसर बेली रोड, पटना |
स्थापना वर्ष | 20 जुलाई 1989 |
जाने के लिए टिकट का कीमत | ₹100 प्रति व्यक्ति |
टिकट बुकिंग की सुविधा | ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों |
शो का समय | दोपहर 1:40 PM से 2:20 PM (लगभग 30 मिनट) |
साप्ताहिक अवकाश | सोमवार |
खास सुविधाएँ | थ्रीडी शो, विज्ञान गैलरी, खगोलीय मॉडल |
अनुभव की विशेषता | थ्रीडी चश्मा के साथ इंटरैक्टिव शो |
दर्शनीय गैलरी | बिग बैंग थ्योरी, ग्रह-नक्षत्र मॉडल, टेलिस्कोप |
वह डॉपलर इफेक्ट के माध्यम से किया जाता है
जो अभी आपको देखा रेड चिप ब्लूचिप फंड है। वह लगता है खेल रहा है और फैलता ही जा रहा है। अभी इसका निश्चित मापन नहीं हो पाया है। भविष्य में शायद इसका मापन हो जाए। यहां पर आपको यह टेलिस्कोप जैसे कुछ मशीन दिखेंगे। यह प्रतिकृति हैं। इसके सामने यह सब रखा गया है कि ऐसे होते थे। इसके जरिए खगोल पिंडों के अध्ययन किए जाते थे। यहां पर गैलेक्सी के बारे में किसी गैलेक्सी। आकाशगंगा जिससे आकाशगंगा कहते जिससे आकाशगंगा आकाशगंगा कहते हैं इसी में हमारा ग्रह पृथ्वी भी है। आप देख सकते हैं बिल्कुल यह दूध की तरह लगता है। इसकी वजह से इसका नाम अकाश गंगा रखा गया है। यहां पर और भी जितने भी जितने भी ग्रह है, उनका फोटो लगाया गया है तो हम लोग अपने सा एनीमेशन दिखाया गया और। अब तो आकर ग्रेविटेशनल इसके बारे में भी बहुत ही कठिन है। समझना कर ले। हमें यह बताया गया है कि जिस जगह पर जहां ग्रेविटी बहुत ज्यादा होती है
लाइट वहां पर भी मुड़ जाती है वहां से बंद करके आती है
यहां भी ज्यादा को लाइनमैन कर रही है उसके सामने नहीं है। फिर भी यह रेड लाइट दिखे तो यह ड्राइवर टेस्ट नल लेंस की वजह से होता है तो हमारे ब्राह्मण में बहुत सारे ग्रेविटेशनल लेन सर इसके बारे में इसके माध्यम से ही हम तारों के बारे में जान पाते हैं तो आप देख सकते हैं। बहुत ही शानदार बहुत ही गजब कब? नया माल अच्छा लगता है, तारीख क्या है, इसके बारे में जानकारी दिया गया है तो सारे क्या है? आकाश आकाश में एक लड़का हुआ फ्रेंड है जो गैस से बना हुआ गोला है। हाइड्रोजन हीलियम और उसमें रिएक्शन होता है जिसकी वजह से ही प्रोड्यूस होता है। तारा का कैसे बनता है, किस तरीके से खत्म होता है इसके बारे में पूरा यहां पर जानकारी। हैं। आप हैं। आप हैं। आप लिखा लिखा है कि तारीख में चमक कैसे होती तो आप इसे पढ़ सकते हैं। समझ सकते हैं तो आप यदि मेरे वीडियो को देखकर जाते हैं तो आप को समझने में बहुत ही आसानी होगा और आप आनंद पूर्वक अच्छे से घूम आएंगे तो आप देख सकते हैं। यहां पर सब फोटो खिंचा रहे। यह चंद्रशेखर लिमिट चंद्रशेखर सीमा चंद शेखर जी हमारे ही देश के बहुत बड़े वैज्ञानिक हुए। उन्होंने बताया कि तारे किस तरीके से जन्म लेते हैं और कैसे खत्म होते हैं
तारामंडल के बारे में सभी जानकारी
सूरज कैसे जन्म लिया जीवित रहेगा और किस तरीके से खत्म होगा तो आप देख सकते हैं कि सूरज धीरे धीरे चल करके टाइम बताएगा कि खत्म सिस्टम का मारा सूरज 811। मेट्राइड इन सब से मिलकर क्या मारा सोलर सिस्टम बना है। यहां पर है ग्राहक कैसे घूमते हैं तो अलग अलग वैज्ञानिक हो या अलग अलग थोड़ी दी कि ग्रह किस तरीके से घूमते हैं। यहां पर गैलरी लगा है। सैलरी में फ्रॉड को दिखाया गया है। डॉक्टर को दिखाया गया है। किस तरीके से घूमते हैं, उसके बारे में बताया गया है और यही सब चीज जो है, वह अंदर भी दिखाया जाता और बाहर ही थोड़ा हजार तरीके से स्पेस में हर चीज गतिशील है। घूम रहा है। आप देख सकते हैं कि कितने सारे एस्ट्रॉयड अर्थ पोस्टर आता है तो क्या यहां पर क्वाइट्स क्वाइट्स कमिटमेंट रॉय इसके बारे में बताएंगे, यह पत्थर जो है। में गिरा उल्कापिंड में गिरा उल्कापिंड गिरा उल्कापिंड स्कूल मैथ गाइड कहते हैं तो आप देख सकते हैं
आपको लगेगा कि पृथ्वी मंगल ग्रह को पार करके आगे निकल गई है
और एक समय ऐसा लगेगा कि पृथ्वी जो है वह मंगल ग्रह के पीछे हैं और मंगल ग्रह किस तरीके की जो अनुभव होता है उसी को रेट्रोग्रेड मोशन ऑफ प्लेनेट कहा जाता है जो कि हकीकत में पैसा नहीं होता। कोई आगे या कोई पीछे नहीं हो रहा होता बल्कि सभी ग्रह जो है वह अपनी स्पीड अपने गति से सूरज का चक्कर लगा रहा होता है। आप देखिए इसमें आपको लगेगा। यह जो आगे पृथ्वी जो है वह पीछे। गया है लेकिन ऐसा गया है लेकिन ऐसा नहीं नहीं हो तो आगे आपको यहां पर टेलिस्कोप का जैसे-जैसे जन्म होता है या बढ़ता गया टेक्नोलॉजी बढ़ता गया। वह सब बताया गया है कि किस टाइम पर किस तरीके का टेलिस्कोप का जन्म में जैसे देख सकते हैं। चरण की लाइन में विलियम हासिल की 40 फुट का टेलिस्कोप बना दी। टेलिस्कोप 9993 रेडियो टेलिस्कोप 9993 में की 10 मीटर टेलिस्कोप बनाया गया 2009 में केपलर अंतरिक्ष टेलीस्कोप बना तो धीरे-धीरे टेक्नोलॉजी बढ़ते हुए टेलिस्कोप का पावर बैंक बढ़ता हुआ एक्सप्लेन एक्सप्लेन इट का मतलब होता है कि हमारे सौरमंडल के बाहर की जो प्लेट से उन्हीं को एक्सोप्लैनेट कहा जाता है। यहां पर देखकर बताया गया है कि हमारे ऋषि-मुनियों ने नक्षत्र ज्योतिष इन सब चीजों का ज्ञान बहुत पहले से था और इसके बारे में बहुत हजारों साल पहले ही बता दिया था।
एस्ट्रोनॉमी इन एंड सैंड इजिप्ट मतलब दुनिया के विभिन्न देश में जोड़ा था
वह सूरज के चारों ओर चक्कर लगाता है ना कि सूरज ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाता है। सर्वप्रथम आर्यभट्ट जी नहीं बताया था। यह देख सकता है। यह जंतर मंतर का प्रकृति है। मतलब दो! राम यह राम यह राम यह राम यंत्र है। इससे नक्षत्र का ज्ञान होता है यहां पर आपको यह बनाया गया यंत्र इस यंत्र के माध्यम से सुरेश का टाइम होता है। यह सब पता करते हैं। स्कूल में संयंत्र बोलते हैं आज के जमाने में घड़ी था उस टाइम पर इन्हीं यंत्रों के माध्यम से समय का पता चलता था जो कि राजेश जी सवाई ने बनवाया था। यह सम्राट के अंत तक इसी तरीके से और भी कई यंत्र है। आप देख सकते हैं। यह जल चक्र यंत्र है। यहां पर आपको पृथीबी और यह देखिए। यह बहुत इस तरीके से निलेश को बनाया गया था। हार्ड चलकर विशाल दूरबीन इससे बहुत बड़ी बड़ी खोज नहीं हो पाई। गया और गया और गया और और देख सकते हैं टेलिस्कोप यह काफी हाई-फाई टेक्नोलॉजी का बना था और यहां पर अंतरिक्ष में किस तरीके से को जो गया कि 1962 में क्या हुआ यहां 1962 में क्या हुआ। यहां पर यह देख सकते हैं।
भारत की उपलब्धियां इस रोल में हैं
सब की उपलब्धि है और यहां पर देखिए मार्स रोवर बनाया गया। मार्स रोवर भारत की बहुत बेहतरीन उपलब्धि इस तरीके से प्रकृति बनाया गया है और यहां पर यह देख सकते हैं। वे अरे के माध्यम से मंगल ग्रह का अनुभव कर सकते हैं। क्या आप जैसे मंगल ग्रह पर उतर गए हैं उस तरीके और यह स्पेस कैप्सूल स्पेस में इसी तरीके के कैप्सूल होता है और यहां पर यह बताने की कोशिश किया गया है कि जवाब पर स्पेस में होंगे तो कैसा महसूस होगा लेकिन ही बोल बोल बोल नहीं रहा था। यह देखिए इधर से आने का रास्ता है। लोग अगले शो के लिए आ रहे हैं। पटना के इस तारामंडल में आप इसी तरह से घूम सकते हो क्या है टिकट के रेट 2025 में कैसे घूमना है इसके ऊपर बेहद जानकारी दिया गया है पढ़कर आप समझ सकते हैं
Conclusion
पटना का तारामंडल यह एक ऐसा जगह है जहां पर आप जाकर अपना समय बिता सकते हैं इस तारामंडल में बच्चे भी जाकर एंजॉय कर सकते हैं पटना तारा मंडल में टिकट का कीमत मात्र ₹100 लगेगा अगर पटना में आप घूमने के लिए आ रहे हो तो इसे अपने लिस्ट में जरूर शामिल कर सकते हैं